Saturday, February 13, 2021

साज

गुज़ारिश की मौशकी के उस अर्ध चाँद से हमनें l
शरीक हो हमारी महफ़िल में पूरे शब्बाब में अपने ll

मुल्तवी करवादी सुरमई आँखों ने हया ऐसे l
सुरमा बह बिखर गया हर और गालों पे जैसे ll

सिफ़ारिश मुनासिब थी उनके क़ुरबत आने की l
फ़रियाद बरसों पुरानी थी पहलू उनके आने की ll

धरोहर थे कशिश के रंग बिरंगे सुनहरे पल l
अतीत के इत्र में महक रहा खोया हुआ मन ll

चट्टानों पर उकेरा सुन्दर आरज़ू आलेख कोई l
ओस की शबनमी बूँदों से बहता आवेग कोई ll

दीवानगी का आलम ना थी सरहदों की सर जमीं l
ख़ामोशी में सिमटी रातें ठहरा हुआ महताब वहीं ll

दस्तूर दिलों की इन रिवायतों का पास यही l
कसक जवां होती हैं हर आरज़ू साज में नयी ll  

Wednesday, February 3, 2021

खनक

चूड़ियाँ गिनने बैठा उसकी कलाई की l
खनक उतर गयी दिल गहराई की ll

राज़दार उसकी आँखे बन गयी l
तसब्बुर में जलते अँगारों सी ll

दफ़न अब तलक सीने में थी जो चिंगारी l 
सोहबत में उसकी रजा बन गयी परछाई की ll 

रंगरेजन रंग गयी हौले से तन्हाई को l
महक उठी हीना जीने शहनाई को ll

पहन ली ताबीज़ बना उसके झाँझर के झंकारों की l 
घुल गयी रातों में मिठास आगोश में सितारों सी ll

शरमा सिमट रही वो खुद के आँचल से ऐसे l
सकून भरी करवटों में मिला साथ चाँद का जैसे ll

लकीरें हाथों की सलवटें माथे की l
स्याह घुल रही जिस्म भींगी रातों सी ll 

नादानियाँ भरी शोखियाँ थी उस चंचल काया की l
निखर आयी साँझ रंग भरे यादों के साये सी ll

रंग भरे यादों के साये सी l
रंग भरे यादों के साये सी ll