Thursday, October 16, 2025

अकेला समय

स्पर्श स्पन्दन खामोश अधरों उलझेअधूरे अल्फाजों की l

तस्वीर एक ही उकेरती सूनी सूनी पत्थराई आँखों की ll


पैबंद लगी तुरपाई हुई काश्तकारी रूह इसके सपनों की l

बिनआँसू सुई सी चुभती सीने दिल टूटे अरमानों की ll


समय अकेला समर गहरा संबंध विच्छेद नादान सा l

कटाक्ष बाण चक्रव्यूह रण निगल गये निदान काल सा ll


मुखबिरी व्यथित बदरंग इनके रुदन शब्द आवाजों बीच l

मुनादी कोलाहल बेंध रही छाती कर्णताल ध्वनि धैर्य बीच ll


रोम रोम कर्जदार पाटों की इन बिखरी चट्टानों बीच l

लुप्त हो गयी तरुणी सागर कहीं इसके क्षितिज तीर ll