Tuesday, August 4, 2009

ख़त

लहू को स्याही बना

ख़त लिख डालु

जो आप की नजरे इनायत हो

तो पैगाम ऐ मोहोबत लिख डालु

हर साँस आप के नाम कर डालु

इकरारे मोहोबत जो हो

ये दिल आप के नाम कर डालु

दर्पण

चेहरा बेक्तित्व का आइना है

मुख मंडल अनकहे सब ब्येक़त कर देता है

सकल जैसी भी हो

भाव चहेरे पर उजागर हो ही जाते है

बेदना हो या खुशी

हर तस्वीर साफ़ नजर आती है

अक्कस ही सची पहचान है

इसलिए कहते है

दर्पण झूट नही कहता है

शहर

ये शहर मुस्कराने लगा

फूल जिन्दगी के चुनने लगा

धुप नई खिलने लगी

फूलो में रंगत आने लगी

बात फिर जो अमन की होने लगी

सब अच्छा होने लगा

खाब सच होते दिखने लगे

अमन की हवा जो चली

मौसम बदलने लगे

ये शहर मुस्कराने लगा

Monday, August 3, 2009

श्याम नाम

श्याम नाम तेरी महिमा बड़ी अप्पार

वृन्दावन की हर गली गली गूंजे तेरा ही नाम

कोई कहे राधे श्याम

कोई कहे मेरे गिरधर गोपाल

ना कोई जाति ना भाव

ना कोई महजब ना जात

सब एक ही स्वर से पुकारे तेरा ही नाम

हर दिल बसे तू घनश्याम

तेरी लीला है अपरम्पार

तेरी बांसुरी की तान पे हर दिल कुर्बान

कोई बन जाए मीरा तो

कोई करे तेरा बखान

श्याम तेरे नाम की महिमा बड़ी अप्पार

गीतों भरी कहानी

गीतों भरी कहानी है

हर ख्याल रूमानी है

फिजा मतवाली है

दिल आसिक मिजाजी है

समां प्यार भरी पाती है

परवाना इश्क की बाती है

गीतों भरी कहानी है

जुबा पे चली आई जो

वो प्यार भरी कहानी है

सितारों मैं लिपटी प्रेम कहानी है

एक अजनबी से दिल लगी की जुबानी है

गीतों भरी कहानी है