लहू को स्याही बना
ख़त लिख डालु
जो आप की नजरे इनायत हो
तो पैगाम ऐ मोहोबत लिख डालु
हर साँस आप के नाम कर डालु
इकरारे मोहोबत जो हो
ये दिल आप के नाम कर डालु
लहू को स्याही बना
ख़त लिख डालु
जो आप की नजरे इनायत हो
तो पैगाम ऐ मोहोबत लिख डालु
हर साँस आप के नाम कर डालु
इकरारे मोहोबत जो हो
ये दिल आप के नाम कर डालु
चेहरा बेक्तित्व का आइना है
मुख मंडल अनकहे सब ब्येक़त कर देता है
सकल जैसी भी हो
भाव चहेरे पर उजागर हो ही जाते है
बेदना हो या खुशी
हर तस्वीर साफ़ नजर आती है
अक्कस ही सची पहचान है
इसलिए कहते है
दर्पण झूट नही कहता है
ये शहर मुस्कराने लगा
फूल जिन्दगी के चुनने लगा
धुप नई खिलने लगी
फूलो में रंगत आने लगी
बात फिर जो अमन की होने लगी
सब अच्छा होने लगा
खाब सच होते दिखने लगे
अमन की हवा जो चली
मौसम बदलने लगे
ये शहर मुस्कराने लगा
श्याम नाम तेरी महिमा बड़ी अप्पार
वृन्दावन की हर गली गली गूंजे तेरा ही नाम
कोई कहे राधे श्याम
कोई कहे मेरे गिरधर गोपाल
ना कोई जाति ना भाव
ना कोई महजब ना जात
सब एक ही स्वर से पुकारे तेरा ही नाम
हर दिल बसे तू घनश्याम
तेरी लीला है अपरम्पार
तेरी बांसुरी की तान पे हर दिल कुर्बान
कोई बन जाए मीरा तो
कोई करे तेरा बखान
श्याम तेरे नाम की महिमा बड़ी अप्पार
गीतों भरी कहानी है
हर ख्याल रूमानी है
फिजा मतवाली है
दिल आसिक मिजाजी है
समां प्यार भरी पाती है
परवाना इश्क की बाती है
गीतों भरी कहानी है
जुबा पे चली आई जो
वो प्यार भरी कहानी है
सितारों मैं लिपटी प्रेम कहानी है
एक अजनबी से दिल लगी की जुबानी है
गीतों भरी कहानी है