Wednesday, March 10, 2010

कडवी बातें

चुभती है कडवी बातें

अच्छी लगती है मीठी बातें

सारा खेल ही है बातों का

बातों की बात निराली

कहीं ह़र लेती है प्राण बातें

कहीं बन जाती है संजीवनी बातें

सोच समझ कर करो बातें

छोड़ कडवाहट को

जीत लो जग को मीठी बातों में

मिथ्या

जहा पग पग बिखरे पड़े मिथ्या के बोल

चल नहीं सकती उस राह रिश्ते की डोर

जहा मिथ्या है सबसे बड़ा पाप

वही रिश्ता है सबसे पाक

रखनी है अगर रिश्ते की लाज

तो छोड़ना पड़ेगा मिथ्या का साथ

Monday, March 8, 2010

ख्यालों में

दोस्तों को लोग याद करते है यदा कदा

पर दुश्मनों को करते है सदा

काश हम भी दुश्मनों की गिनती में होते

कम से कम आपके ख्यालों में तो ह़र पल होते

दर्दनाक जिन्दगी

खो गयी जिन्दगी अकेलेपन में कहीं

छुट गयी बचपन की यादें

जिन्दगी की रफ़्तार में कहीं

गुम हो गयी मुस्कराहट कहीं

रह गयी जिन्दगी काँटो में उलझ कहीं

शायद नज़र लग गयी ख़ुशी को कहीं

तभी छुट गया ह़र लहमा कहीं

ओर रह गयी बस आंसुओ में लिपटी

दर्दनाक जिन्दगी की कहानी कहीं

अपना रंग

ह़र रंगों में है एक रंग अपना

रंगों की दुनिया से ही सजा है दिल अपना

प्रेम रंग है सब का सपना

दुआ करो इस होली मिल जाये कोई रंग अपना