चुभती है कडवी बातें
अच्छी लगती है मीठी बातें
सारा खेल ही है बातों का
बातों की बात निराली
कहीं ह़र लेती है प्राण बातें
कहीं बन जाती है संजीवनी बातें
सोच समझ कर करो बातें
छोड़ कडवाहट को
जीत लो जग को मीठी बातों में
चुभती है कडवी बातें
अच्छी लगती है मीठी बातें
सारा खेल ही है बातों का
बातों की बात निराली
कहीं ह़र लेती है प्राण बातें
कहीं बन जाती है संजीवनी बातें
सोच समझ कर करो बातें
छोड़ कडवाहट को
जीत लो जग को मीठी बातों में
जहा पग पग बिखरे पड़े मिथ्या के बोल
चल नहीं सकती उस राह रिश्ते की डोर
जहा मिथ्या है सबसे बड़ा पाप
वही रिश्ता है सबसे पाक
रखनी है अगर रिश्ते की लाज
तो छोड़ना पड़ेगा मिथ्या का साथ
दोस्तों को लोग याद करते है यदा कदा
पर दुश्मनों को करते है सदा
काश हम भी दुश्मनों की गिनती में होते
कम से कम आपके ख्यालों में तो ह़र पल होते
खो गयी जिन्दगी अकेलेपन में कहीं
छुट गयी बचपन की यादें
जिन्दगी की रफ़्तार में कहीं
गुम हो गयी मुस्कराहट कहीं
रह गयी जिन्दगी काँटो में उलझ कहीं
शायद नज़र लग गयी ख़ुशी को कहीं
तभी छुट गया ह़र लहमा कहीं
ओर रह गयी बस आंसुओ में लिपटी
दर्दनाक जिन्दगी की कहानी कहीं