Thursday, April 14, 2011

इजहार

तेरी कातिल नजरों ने


चल दी अपनी चाल


तेरी मुस्कराहट पे


दिल हो गया कुर्बान


संग दिल अब ना बनो यार


अब तो कर दो


प्यार का इजहार

बाबरी

डगर डगर नगर नगर


पनघट पनघट फैली खबर


मीरा हो बाबरी


रटत फिरत है


ले श्याम का नाम


श्याम कहे मत भटक बाबरी


हम तो तेरे ह्रदय ही विराजमान

आँखों से

हम बंद आँखों से


आप का दीदार करते है


दिल जो तस्वीर बना है


उस कल्पना को


कविता में पिरों कर


ह्रदय में बसा लेते है

Tuesday, April 12, 2011

वर्णन

सुन्दर नाजुक कोमल तन


प्यार भरा मीठा मन


कमसिन जिन्दगी भोलापन


खिलता यौवन मुस्कराता बचपन


तेरे इस हसीन वर्णन में


झलक रहा मेरा समर्पण


करू तुझे मैं अर्पण


कह रहा मेरा मन

Saturday, April 9, 2011

दांव

रफ़्तार भरी जिन्दगी में

जिन्दगी को दफना दिया

छुट गया बचपन पीछे

छुट गए संगी साथी

भुला बिसरा खुद को

जिन्दगी को दांव पे लगा दिया

भीड़ भरे जमघट में

सिक्कों की खनखनाहट में

खुद को भुला दिया