ज्ञान चक्षु खोल
जिज्ञासा के है बोल
अभिलाषाए होगी अनंत
उद्भव उथान को
नया प्रयास रहेगा सतत
Tuesday, May 10, 2011
जोर
छलकते नयनों का पैमाना नहीं होता
बहते आंसुओ का ठिकाना नहीं होता
ख़ुशी हो या गम के
आंसुओ पे जोर किसीका नहीं होता
बहते आंसुओ का ठिकाना नहीं होता
ख़ुशी हो या गम के
आंसुओ पे जोर किसीका नहीं होता
लक्ष्य
लक्ष्य एक स्वरुप अनेक
सुनहरे भविष्य को सिरमौर करने
बड़ चले कदम
अंकुरित हो नयी फसल
खिल उठे सुन्दर कपोल
करने कल्पना को साकार
बड़ गए कदम
कह रही जिन्दगी
कर्म ही पाठशाला
पा लक्ष्य को
खुशियों से
छलक गए नयन
ओर बह रही अश्रुधारा में
मिल बह गया कष्ट सारा
सुनहरे भविष्य को सिरमौर करने
बड़ चले कदम
अंकुरित हो नयी फसल
खिल उठे सुन्दर कपोल
करने कल्पना को साकार
बड़ गए कदम
कह रही जिन्दगी
कर्म ही पाठशाला
पा लक्ष्य को
खुशियों से
छलक गए नयन
ओर बह रही अश्रुधारा में
मिल बह गया कष्ट सारा
चिंगारी
लील ली एक चिंगारी ने
जिंदगानी सारी
धूं धूं कर सुलग उठी
कायनात सारी
प्रबल प्रचंड अग्नि लपट
पल में भस्म हो गयी
धरोहर सारी
जिंदगानी सारी
धूं धूं कर सुलग उठी
कायनात सारी
प्रबल प्रचंड अग्नि लपट
पल में भस्म हो गयी
धरोहर सारी
तपिश
तपिश जो मेरी रूहों से निकली
मन को तेरे
प्रेम अगन में
झुलसा गयी
जल गया तन भी
जब तुने साँसों से साँसे मिला दी
मन को तेरे
प्रेम अगन में
झुलसा गयी
जल गया तन भी
जब तुने साँसों से साँसे मिला दी
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