अधखुली पलकें
मंद मंद मुस्काती साँसे
कह रही शरारत निगाहें
खामोश लव
ठंडी आहें
कर रही दिल की बातें
देख खिलते गुलाब को
याद आ गयी
प्रियतम की वो मीठी बातें
Tuesday, May 1, 2012
Tuesday, April 3, 2012
संतुष्टि
खुशियाँ इतनी मिली दर्द से नाता जोड़ लिया
गुलाब बन काँटो के संग रहना सीख लिया
ह़र गमों को मुस्कराते हुए जीना सीख लिया
अरमानों कर अम्बार लगा था
चाहतों से स्वाभिमान बड़ा था
जो मिला
हँसी खुशी उसमे बसर करना सीख लिया
खुशियाँ या गम , कम हो या ज्यादा
ह़र उस पल को
आत्मसंतुष्टि संग जीना सीख लिया
गुलाब बन काँटो के संग जीना सीख लिया
गुलाब बन काँटो के संग रहना सीख लिया
ह़र गमों को मुस्कराते हुए जीना सीख लिया
अरमानों कर अम्बार लगा था
चाहतों से स्वाभिमान बड़ा था
जो मिला
हँसी खुशी उसमे बसर करना सीख लिया
खुशियाँ या गम , कम हो या ज्यादा
ह़र उस पल को
आत्मसंतुष्टि संग जीना सीख लिया
गुलाब बन काँटो के संग जीना सीख लिया
Monday, April 2, 2012
कुछ
कुछ टटोल मैं रहा हु
आंसुओ का सागर समेट रहा हु
उस अनछुई खुशी को
पहेली बन ऊलझ गयी जो
अन्दर अपने टटोल रहा हु
कुछ टटोल मैं रहा हु
आंसुओ का सागर समेट रहा हु
मिल जायेगी जो मृगतृष्णा
भर आयेगे ऐ दो नयना
उस पल छलकाने खुशियाँ
इस पल समेट रहा हु आंसुओ का झरना
कुछ टटोल मैं रहा हु
आंसुओ का सागर समेट रहा हु
कुछ मैं टटोल रहा हु
आंसुओ का सागर समेट रहा हु
उस अनछुई खुशी को
पहेली बन ऊलझ गयी जो
अन्दर अपने टटोल रहा हु
कुछ टटोल मैं रहा हु
आंसुओ का सागर समेट रहा हु
मिल जायेगी जो मृगतृष्णा
भर आयेगे ऐ दो नयना
उस पल छलकाने खुशियाँ
इस पल समेट रहा हु आंसुओ का झरना
कुछ टटोल मैं रहा हु
आंसुओ का सागर समेट रहा हु
कुछ मैं टटोल रहा हु
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