फूल बन वेणी में गूँथ
बालों में सज जाऊ मैं
माला में पिरों
गर्दन में सज जाऊ मैं
श्री चरणों में चढ़
कदमो से उनके लिपट जाऊ मैं
पर दिल कह रहा है
शहीदों की वेदी पे सज
जीवन अपना सफल कर जाऊ मैं
Thursday, August 16, 2012
पारस
अवसर कभी मिला नहीं
प्रोत्साहित कभी किसीने किया नहीं
छिपी प्रतिभा से
जग रूबरू कभी हुआ नहीं
कला जो थी सुन्दर
उभर कभी पायी नहीं
कद्रदान कभी मिले नहीं
हुनर को परख सके
पारस ऐसा कभी मिला नहीं
प्रोत्साहित कभी किसीने किया नहीं
छिपी प्रतिभा से
जग रूबरू कभी हुआ नहीं
कला जो थी सुन्दर
उभर कभी पायी नहीं
कद्रदान कभी मिले नहीं
हुनर को परख सके
पारस ऐसा कभी मिला नहीं
Monday, August 13, 2012
लाचार जिन्दगी
अकेलेपन की तनहाइयों में
जिन्दगी गुजरे कल में खो गयी
दायरा सिमट गया
झर झर नयन स्वत: ही बह पड़े
आंसुओ की माला
यादों की बारात बन गयी
इस परछाई के संग जीने को
जिन्दगी लाचार हो गयी
जिन्दगी गुजरे कल में खो गयी
दायरा सिमट गया
झर झर नयन स्वत: ही बह पड़े
आंसुओ की माला
यादों की बारात बन गयी
इस परछाई के संग जीने को
जिन्दगी लाचार हो गयी
गुमनाम
एक वो गुमनाम थी
बसी जिसमे जान थी
मूरत थी वो प्यार की
हार पल लबों पे
उसकी ही बात थी
चली गयी एक दिन
जाने वो किधर
सपना बन रह गयी मोहब्बत
बसी जिसमे जान थी
मूरत थी वो प्यार की
हार पल लबों पे
उसकी ही बात थी
चली गयी एक दिन
जाने वो किधर
सपना बन रह गयी मोहब्बत
Thursday, August 2, 2012
जन्नत का द्वार
मदिरालय की सीढ़ी चढूं
या शिवालय की चौखट चुमू
कदम कह रहे है
जन्नत की जिन्ने चढूं
ना मयखाने में वो आग है
ना मंदिर में सुप्रकाश है
स्वर्ग के द्वार खुले
लिए फूलों के हार है
डगर यह आसान नहीं
क्योंकि मृत्यु ही जन्नत का द्वार है
या शिवालय की चौखट चुमू
कदम कह रहे है
जन्नत की जिन्ने चढूं
ना मयखाने में वो आग है
ना मंदिर में सुप्रकाश है
स्वर्ग के द्वार खुले
लिए फूलों के हार है
डगर यह आसान नहीं
क्योंकि मृत्यु ही जन्नत का द्वार है
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