Thursday, November 15, 2012

दौलत

दौलत है सपनों की रानी

गरीबों का पैसा

अमीरों का पानी

बदल दे किस्मत

लिख दे नयी जुबानी

मोह माया ऐसी

लहू जैसे लहू की प्यासी

कदर नहीं इंसान की

आदर पर इसका करे दुनिया सारी

बना दे पल में बिगड़े काज

या करवा दे जज्बातों को नीलाम

अमीरों के लिए वरदान

गरीबों का दाना पानी

दौलत है सपनों की रानी
 

Saturday, November 10, 2012

सपनों की रात

तुम कुछ कहती तो मैं कुछ सुनता

सारी रात यूही करवटें ना बदलता

नींद कहा आँखों में थी

सपने की रात गुजर जाने को थी 

खामोश मगर मग्न

ना जाने तुम क्या विचार रही थी

नई नवेली दुल्हन जैसे शरमा रही थी

बाहों को तेरे आगोश की आस थी

पर रात ढल जाने को बेताब थी

बेकरार निंद्रा भी थी

पर आँखों में कहा उसकी परछाई थी

करवटों में रात खोने को लाचार थी

सुबह की लालिमा उदय होने को त्यार थी

 

Thursday, November 8, 2012

जीवन संवेदना

स्वर शब्दों की अनूठी भाषा

मीठी वाणी अमृत का प्याला

छलके ऐसे गागर से सागर जैसे

इस सुन्दर माध्यम की

नहीं कोई परिभाषा

समाई जिसमे सृष्टि की अभिलाषा

सक्षम है अक्षरों की भाषा

प्रगट होती इनके हर भावों में चेतना

चाहे ख़ुशी हो या वेदना

हर अक्षरों में समाहित जीवन संवेदना 

बेमिशाल मोहब्बत

हुई मोहब्बत जो शराब से

हर जाम एक गजल बन गयी

हर शाम एक कविता बन गयी

आलम नशे का ऐसा चढ़ा

मधुशाला महबूबा बन गयी

सुरूर था सूरा का

लगी जो होटों से

संगिनी आखरी साँसों की हो गयी

बिन जाम कोई ना सहारा था

जीने का कोई ना बहाना था

यह वफ़ा की मिशाल थी

यारी इसकी बेमिशाल थी , बेमिशाल थी




धुंधली तस्वीर

धुंधली कैसे वो तस्वीर हो

स्नेह प्यार में बंधी जब डोर हो

अनमोल कैसे ना यादों के वो पल हो

मिले जिनमे अपनेपन के रंग हो

थामी जिसने धडकनों की डोर हो

भूल उनको जाने की खता फिर कैसे हो

भूल उनको जाने की खता फिर कैसे हो