Tuesday, August 25, 2009

तारे

मद्धिम मद्धिम रोशनी

मध्यम मध्यम तारे

चंदा खेले आँख मिचोली

कभी बादलो में छुप जाय

कभी निकल आय

रात ढले धीरे धीरे

चंदा भी घर जाय

जाते जाते तारो को चाँदनी दे जाय

धीरे धीरे सूरज बन

रोशनी की नई किरण बन आय

मध्यम मध्यम तारे

मंद मंद गति से चले जाय

पकवान

लगे मन को भाने पकवान

जब शुमार हो उसमे

माँ की ममता

बहन का दुलार

पत्नी का प्यार

बेटी का साथ

तो फिर क्यो ना लगे पकवान लाजबाब

सच है की नही जनाब

Sunday, August 23, 2009

रबा

रबा हो मेरे रबा

सुन ले मेरी तू फरियाद

कर दे विपदा का नाश

शरणों में तेरी आया हु आज

मत करना तू निराश

रबा ओ मेरे रबा

सर पे मेरे रख दे तू अपना हाथ

तेरी दुआए रहे सदा मेरे साथ

करू मैं तुम्हे बारम्बार प्रणाम

मेरी गलतियों पे ना देना तुम ध्यान

रबा ओ मेरे रबा

करता हु ऐ वादा तुझ से मैं आज

कभी ना करूँगा कोई अनुचित काम

सुन ले मेरी भी प्रार्थना तू आज

सेवा का एक मोका मुझ भी दे दे तू आज

रबा ओ मेरे रबा

नित सुबह शाम धरु मैं तेरा ध्यान

मेरा भी तू बन जा करनधार

तेरे नाम की महिमा अपार

कर ले मुझको भी अपने भक्तो में शुमार

रबा ओ मेरे रबा

विनती सुन ले मेरी तू आज

कर दे मुझे भी भवसागर पार

हर जगह तेरा ही है वास

मेरे दिल में भी रहे तेरा ही वास

रबा ओ मेरे रबा

सुन ले मेरी भी फरियाद

सांवरिया

श्याम रस से भरी तेरी गगरिया

फिर काहे को भटके बनके तू मीरा

श्याम नाम तुने लिया है जो अपनाए

छोड़ मोहन कैसे तुझको जाए

श्याम रंग में जो डूब गई

सांवरिया कैसे ने आए

बंधन

अटूट ऐ बंधन है

कैसा विचत्र ऐ बंधन है

जनम और मृत्यु का अजब ऐ बंधन है

कटु सत्य ऐ बंधन है

मोह माया से भरा ऐ बंधन है