Sunday, May 30, 2010

फेहरिस्त

राज आप की ख़ामोशी का जान ना पाये

चाह कर भी आप को हँसा ना पाये

सूरत रोनी फब्बती नहीं आप पे

कैसे बदले इसे

खिलखिलाती आप रहे

चाहे हमें दोस्त ना पुकारो

मगर इल्तजा है बस इतनी सी

दुश्मनों की फेहरिस्त में

नाम हमारा भी हो

बेजान तस्वीरे

प्यार के रंग भर दे जब तस्वीरों में

बोल उठती है बेजान तस्वीरे

देख के उन रंगों को

जादू है प्यार का

तभी प्राण मिल जाते है बेजान को

प्रेम रास

बांसुरियां दिल की बजी

ओढ़नी उड़ने लगी

झांझरिया बजने लगी

सुन के प्रेम रस

राधा दीवानी होने लगी

नाच उठी गोपियाँ

मोहन संग राधा प्रेम रास रचाने लगी

अनछुई तलाश

कैसी ये तलाश है

जो आज तलक अधूरी है

ढूंड रहा मन किसको

इससे दिल भी अनजान है

है वो क्या

जिसके लिए आंखे बेताब है

शायद मन खुद से अनजान है

तभी कोई अनछुई तलाश है

अजीज

जिनकी हँसी पे हमने जग लुटाया

उन्होंने ही हमें यार ना बनाया

मुलाक़ात हुई जब

अजनबी कह ठुकरा दिया

भुला सका नहीं उस पल को

बददुआ दे सका नहीं

मेरे उस अजीज दोस्त को

कहा सदा खुश रहो

यही दुआ करेंगे तुम्हारे वास्ते