Friday, December 24, 2010

विष का प्याला

मीरा पी गयी विष का प्याला


रटते रटते कृष्ण नाम तुम्हारा


लाज रखी तुमने प्यार की


विष बन गया अमृत प्याला


जीत गयी मीरा की प्रेम गाथा


मीरा तो रटे बस नाम तुम्हारा

प्रीत रागिनी

सुन के तेरी प्रीत रागिनी

तेरे प्यार भरे ख्यालों में

खो गयी दुनिया सारी

छू गयी तेरी हँसी दिल को

बोल उठी खामोश जुबाँ भी

साया बन थामा जो हाथ

होने लगा प्यार का कमाल

मुर्दा दिल भी जाग उठा

कहने लगा

तू ही मेरे दिल की साज

तू ही मेरा प्यार

चकित

भरी सभा द्रोपदी का चिर हरण होने लगा जब

हाथ जोड़ याद किया कृष्ण को तब

साड़ी का आँचल इतना बड़ा दिया

थक हार गए कौरव सारे

मिला ना अंत छोर साड़ी का

देख कृष्ण तेरी माया

चकित रह गया जग सारा

कृष्ण-राधा

कृष्ण की बांसुरी ताल पे

ता था थैया नाचे राधा रानी

नंदनवन रास रचावे कृष्ण मुरारी

सखिया संग झूमे राधा रानी

संगम तट खेले कान्हा त्रिपुरारी

संग आँख मिचोली खेले राधा रानी

है जग में विख्यात इनकी प्रेम कहानी

बिन राधा अधुरा मुरारी

गुमान

गुमान नहीं अभिमान है

मेरे पिता पे मुझे नाज है

झुके नहीं टूटे नहीं

विपता जब भी आयी

शूरवीरों की तरह डटे रहे

साथ छोड़ चले गए अपने भी जब सभी

हिम्मत हारी नहीं तब भी कभी

आत्मविश्वास के बलबूते

पाली पुन: शोहरत सारी

धूमिल हो गयी थी जो

विपति काल में