आओ एक नया भारत गढ़े
नफरत की बेड़ियों में जकड़ी
दास्ता से इसे मुक्त करे
ज़हा ना भाषा को हो भेद
ना भाषा आधारित हो राज्य
ऐसी सुन्दर कल्पना साकार करे
सबको मिले समान अधिकार
स्वतंत्र हो सब प्रगट करने अपने विचार
जाति धर्म अमीरी गरीबी को भुला
खुद को हिन्दुस्तानी कहलाने में गर्व हो
ऐसे परिवेश की सृष्टि करे
आओ मिल बदल दे वक़्त की रफ़्तार
जन क्रांति से रच दे नया इतिहास
लोकतंत्र से जनतंत्र तक
पैगाम ए ह़र जनमानस तक पहुचा दे
स्वतंत्रता है हमारा जन्म सिद्ध अधिकार
आओ नये भारत की कल्पना को साकार बना दे
हकीक़त में अपना भारत महान बना दे
Monday, June 20, 2011
Tuesday, June 14, 2011
कलम की ताकत
कथा है दो वीर योद्धाओं की
जंग लड़ी जिन्होंने सुरवीरों सी
सुन अवाम की आवाज़
विद्रोह कर दिया दोनों ने
प्रशासन के खिलाफ
कूद पड़े जंग ऐ मैदान
एक ने थामी थी तलवार
तो दूजे ने कलम को बना लिया अपना हथियार
पहले योद्धा का लड़ते लड़ते
रण भूमि हो गया बलिदान
कुचल दिया प्रशासन ने
हिंसा से भरा क्रांति मार्ग
पर दूजे ने कलम से बदल दिया इतिहास
जाग गयी चेतना
पढ़ क्रांतिवीर के सुन्दर विचार
उमड़ गया सड़कों पर जनता का सैलाब
अपने घुटने नतमस्तक हो गयी सरकार
देख रक्तविहीन क्रांति का आगाज
जीत गयी कलम हार गयी तलवार
जंग लड़ी जिन्होंने सुरवीरों सी
सुन अवाम की आवाज़
विद्रोह कर दिया दोनों ने
प्रशासन के खिलाफ
कूद पड़े जंग ऐ मैदान
एक ने थामी थी तलवार
तो दूजे ने कलम को बना लिया अपना हथियार
पहले योद्धा का लड़ते लड़ते
रण भूमि हो गया बलिदान
कुचल दिया प्रशासन ने
हिंसा से भरा क्रांति मार्ग
पर दूजे ने कलम से बदल दिया इतिहास
जाग गयी चेतना
पढ़ क्रांतिवीर के सुन्दर विचार
उमड़ गया सड़कों पर जनता का सैलाब
अपने घुटने नतमस्तक हो गयी सरकार
देख रक्तविहीन क्रांति का आगाज
जीत गयी कलम हार गयी तलवार
कलम का दम
परिवर्तन कभी रुकता नहीं
मिल जाये कलम का सहारा
क्रांति फिर कभी असफल होती नहीं
पर आसानी से मिलती नहीं आज़ादी राह भी
मिलती है सफलता हार के बाद ही
अगर कलम में हो दम
क्रांति को फिर कोई दबा सकता नहीं
मिल जाये कलम का सहारा
क्रांति फिर कभी असफल होती नहीं
पर आसानी से मिलती नहीं आज़ादी राह भी
मिलती है सफलता हार के बाद ही
अगर कलम में हो दम
क्रांति को फिर कोई दबा सकता नहीं
सपना
तुम हो एक सुन्दर सपना
रचा बसा हुआ है जिसमे मन मेरा
खिलते हुए गुलाब सा तेरा हसीन चेहरा
आ कर अटक गया उस पे दिल मेरा
जैसे आज तुम बन गयी मेरा सपना
वैसे में कब बनूगा तेरा सपना
बतलाना मुझको ए हसीना
रचा बसा हुआ है जिसमे मन मेरा
खिलते हुए गुलाब सा तेरा हसीन चेहरा
आ कर अटक गया उस पे दिल मेरा
जैसे आज तुम बन गयी मेरा सपना
वैसे में कब बनूगा तेरा सपना
बतलाना मुझको ए हसीना
Saturday, June 11, 2011
क्रांति
लहर उठी परिवर्तन की
बदल गयी कायनात सारी
हो गया साम्राज्य छिन्न भिन्न
पड़ गयी अवाम की आवाज़ भरी
जन क्रांति ने ऐसी राह दिखला दी
सोई मानव चेतना जगा दी
बदले परिवेश
आन्दोलन की भेंट चढ़ गयी तानाशाही
सफल हो गया सत्याग्रह
परिवर्तन ने ऐसी लहर चला दी
बदल गयी कायनात सारी
हो गया साम्राज्य छिन्न भिन्न
पड़ गयी अवाम की आवाज़ भरी
जन क्रांति ने ऐसी राह दिखला दी
सोई मानव चेतना जगा दी
बदले परिवेश
आन्दोलन की भेंट चढ़ गयी तानाशाही
सफल हो गया सत्याग्रह
परिवर्तन ने ऐसी लहर चला दी
Subscribe to:
Posts (Atom)