Monday, June 25, 2012

किनारा

किनारा तलाशते ना जाने किधर बह आया

तेज बहाव ना जाने किस ओर खिंच लाया

अथाह सागर में डूबता अकेला नज़र आया

मीलों दूर तक ना कोई तट नज़र आया

किनारा तलाशते ना जाने किधर बह आया

अधूरी बात

कई बार कई बात अधूरी रह जाती है

जुबाँ पे आते आते बात रुक जाती है

लफ्ज कहीं फिसल ना जाये

सुनके जिसे जिन्दगी कहीं ठहर ना जाये

वो बात कहने से जुबाँ कतरा जाती है

इस उल्फत में जो बात अधूरी रह जाती है

जीवन भर का दर्द वो दे जाती है

कई बार कई बात अधूरी रह जाती है

Monday, June 18, 2012

रोती आँखे

आज भी आँखे रोती है

भरे रहते है नयन

याद आती है जब कभी

बीते लहमों की

छलछला आते है नयन

बह चला आता है सैलाब

तोड़ सब्र का इम्तिहान

तोड़ सब्र का इम्तिहान

Sunday, June 17, 2012

नींद

नींद जब किश्तों में बंट जाती है

रातें करवटें बदलते गुजर जाती है

सपने देखना दूर की बात

चैन भरी नींद को

आँखे तरस जाती है

नींद जब किश्तों में बंट जाती है

आलम उस पल ऐसा होता है

नींद के सिवा अपना ना कोई दूजा होता है

चाँद तारों कर साथ भी अधूरा लगता है

सकून भरी नींद के लिए

तन जब करवटें बदलता है

तन जब करवटें बदलता है

नींद जब किश्तों में बंट जाती है

रातें करवटें बदलते गुजर जाती है

नींद जब किश्तों में बंट जाती है

प्यार की डोर

बंधी है जिससे दिलों की डोर

प्यार की है वो डोर

दूर होते हुए भी

महकती है जिससे साँसों की डोर

प्यार की है वो डोर

निहारती है आँखे जिसे ओर

प्यार की है वो डोर