Thursday, April 12, 2018

गुज़ारिश

राज सारे जो आज खुल गए

कल कैसे फ़िर उन्हें याद करेंगे

बिन यादों की पनाह

कैसे फ़िर चाँद का दीदार करेंगे

तन्हाईओं की ग़ज़ल

कहीं महफ़िल में गुम ना हो जाये

बात दिलों के दरमियाँ की

कहीं सरेआम ना हो जाये

गुज़ारिश ज़माने से इसलिए इतनी सी हैं

कुछ राज को राज ही रहने दो

जब तलक जुड़ी हैं साँसे धड़कनों से

यादों के इन हसीन तिल्सिम में

दिल को खामोश सफ़र करने दो

दिल को सफ़र करने दो

Tuesday, April 10, 2018

अभिशाप

ऐ हमसफ़र तेरे नवाजिश कर्म की ही मेहरबानियाँ हैं

धड़कने आज भी तेरे साँसों की कर्जदारियाँ हैं

फ़िदा जो यह दिल कभी हो गया था

उस गुलाब का सफ़र अब यादों की खुमारी हैं

माना राहें वक़्त ने बदल दी

पर कशिश दिल लगी की नूर बन गयी

इसलिए ऐ हमसफ़र

बरस रही घटोँ सी बरस रहे नयन आज हैं

तुम मेरी परछाई मैं तेरा साया था

शायद इसलिए मुकम्ल नहीं हुआ साथ हमारा

दिल चले थे संग हमारे

पर बहक गए थे कदम आते आते किनारें

बिछड़न का यह भी एक सँजोग था

बस इस रात के बाद दिन का उजाला न था

तन्हाईओं में तड़पने को जिन्दा आज भी हूँ

साँसों का तेरी बस एक यही पैगाम था

यादों के सफ़र  में बिन हमसफ़र रहने के

अभिशाप का अहसास ही अब सिर्फ़ मेरे पास हैं 

अब मेरे पास हैं


Friday, March 23, 2018

कब्रगाह

वो दूर क्या गये एक भूल से

दिल यादों का कब्रगाह बन गया

फ़नाह थी जो मोहब्बत कभी

लिपटी रहती थी फूलों की चादर सी

जो कभी इस मज़ार से

मुरझा रुखसत हो गयी

अलविदा कह

तन्हा बैचेन छोड़ गयी इस रूह को

भटकने यादों के कब्रिस्तान में

भटकने यादों के कब्रिस्तान में

Thursday, March 8, 2018

हसीं

उनकी एक हसीं से रंगों के गुलाल खिल गये

अधरों पर मानों गीत मधुर सज गये

चेहरे से नक़ाब जो सरक गया

तमस को चीर आफ़ताब खिल गये

बरसते लावण्य में भींगे सौंदर्य से

जैसे रूप अप्सरा यौवन खिल गये

देख मदहोशी की इस मधुशाला को

फिजाँ भी नशे में बल खाकर बहकने लगे

मानो वक़्त से पहले ही

चमन में सावन झूमने लगे

चमन में सावन झूमने लगे

Thursday, February 22, 2018

महफ़िल

दिल कह रहा हैं

आज फिर एक बार

महफ़िल तेरी यादों के रंगों से सजा दूँ

टूटे दिल को फ़िर से

प्यार के रंगों से सजा दूँ

हमसफ़र बस  इतना तू जान ले

मगरूर ना थी आशिक़ी हमारी

पर देख ख़फ़ा नज़रें तुम्हारी

तन्हा रह गयी दीवानगी हमारी

तू मेरी छाया मैं तेरा दर्पण

तू मेरी साज़ मैं तेरा सरगम

दिल कह रहा हैं

एक बार फ़िर  से

महफ़िल में गीत यह गुनगुना दूँ

और तेरी हसीं के रंगों से

आज एक बार फ़िर महफ़िल सजा दूँ

एक बार फ़िर महफ़िल सजा दूँ