RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Wednesday, December 23, 2009
आत्मा
कहा दु:खी आत्मा ने भटकती आत्मा से
क्यो न हम तुम मिल जाए
कुछ तो दुनिया का भला कर जाए
अकेले अकेले सताने से अच्छा
दोनों मिल दुनिया को सताए
मज़ा आयेगा खूब
सिसकिया भरती आत्माओ
से जब होगी मुलाकात
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