POEMS BY MANOJ KAYAL
बेखबर हम ही थे
यक़ीनन वो तुम ही थे
नादां तुम भी थे तभी
रह गई थी बात अधूरी
जो हम समझ न सके
वो तुम भी कह न सके
बनके अजनबी चाहत तलाशते रहे
पर करते है प्यार तुम्ही से कह न सके
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