POEMS BY MANOJ KAYAL
है प्यारे बड़े ही चिंतामणि
चिंता से ये कभी मुक्त होते नहीं
नाम पड़ा इसीलिए चिंतामणि
ख़ुद की चिंता इनको सताती नहीं
देख दूसरों की खुशिया
मारे चिंता नींद इनको आती नहीं
ऐसे है अपने प्यारे श्रीमान चिंतामणि
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