Wednesday, August 18, 2010

रोना

जब कभी मन हुआ रोने को

बारिस में निकल पड़ा

वर्षा की बूंदों में आंसू घुल गए

किसीको ख़बर भी ना हुई

हम रो के घर अपने चले गए

No comments:

Post a Comment