Monday, September 19, 2011

आशाये

सूर्य नतमस्तक को

झुक गया हिमालय

उसकी आभा किरणों से

सज गए शिवालय

गूंज उठी अजान स्वर लहरी

प्रभात बेला फिर चली आयी

संग अपने नयी आशाये ले आयी

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