RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Monday, September 19, 2011
बचपन की याद
बचपन की वो याद
चल देते थे बाज़ार
पकड़ पिता का हाथ
तलाशती
रह जाती माँ
लग जाती आँख मिचोली
भाई बहनों के साथ
ना कोई फिक्र थी
ना थी कोई चिंता
सपनों की तरह बीत गया बचपन
अब तो बस शेष रह गयी
यादें ही यादें
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