Thursday, November 8, 2012

जीवन संवेदना

स्वर शब्दों की अनूठी भाषा

मीठी वाणी अमृत का प्याला

छलके ऐसे गागर से सागर जैसे

इस सुन्दर माध्यम की

नहीं कोई परिभाषा

समाई जिसमे सृष्टि की अभिलाषा

सक्षम है अक्षरों की भाषा

प्रगट होती इनके हर भावों में चेतना

चाहे ख़ुशी हो या वेदना

हर अक्षरों में समाहित जीवन संवेदना 

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