Thursday, April 25, 2013

जीवन साख

व्यस्त हूँ उलझा हूँ

जिन्दगी के नये पन्नों में खोया हूँ

उलट रहा हूँ पलट रहा हूँ

जीवन अंकुर इन पृष्ठों में टटोल रहा हूँ

समेट रहा हूँ सच्चे भावार्थ को

काव्य रचना बन संवर आये जीवन साख जो

बैठू कभी उदास जो

खोल पढ़ लू इस किताब को

खोल पढ़ लू इस किताब को

 

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