Friday, January 3, 2014

ग़मों के राज

ढूँढता हूँ तलाशता हूँ

मुस्कराते चेहरे के पीछे छिपे

ग़मों के राज तलाशता हूँ

संजीदा जैसे मुँख आभा मण्डल

शांत धैर्यवान चित सुन्दर

धारण किये हुए नहीं कोई

व्यंग बाण दिल के अंदर

फिर भी चमक कहती आँखों कि

सूखे आँसुओ के इस समंदर में

राज कई दफ़न है

इन वीरान बेबस स्थिर आँखों में

झरोखा जो दिल का खुल गया

सैलाब ऐसा आ जाएगा

बह जायेगी जिंदगानी

सन्नाटा हर ओर छा जाएगा

राज इसलिए राज ही रह जाएगा

ग़मों में भी चेहरा

मुस्करता नजर आएगा



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