Tuesday, October 21, 2014

अर्धसत्य

अर्ध सत्य दुनिया दिखलाती है

नजारा कुछ ऐसा दिखलाती है 

धुंध के चादर में लिपटे सितारों को

जैसे चाँद बताती है

छटे कोहरे के बादल पहले इसके

अपने तिल्सिम का हुनर दिखलाती है

बेजुबाँ में भी जुबां बतलाती है

ऐतबार ऐसा दिखलाती है

जो ह नहीं उसके सपने दिखलाती है

वाकई हर अंदाज में

एक नयी उपस्तिथि दर्ज कराती है

मासूमियत की आड़ में

लुटेरों का संसार चलाती है

अर्धसत्य दुनिया दिखलाती है

अर्धसत्य दुनिया दिखलाती है  

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