Sunday, July 15, 2018

मुल्क

तलाश में तेरी ख़त मेरा

मुल्क तेरा पूरा छान आया

पता पर वो मिला नहीं

आशियाना कभी जहां चाँद ने सँजोया था

शब्बाब ने तेरे ऐसा हमें डुबोया

हर नूर में सिर्फ़ तेरा अस्क नज़र आया

तस्वीर माँगी जमाने ने जो तेरी

खुद की तस्वीर में रंग तेरा भर दे आया

सितारों से पूछा फूलों में ढूंढा

अफसानों के उन तरानों को

हर महफ़िल में गुनगुनाया  

कलमा अपनी इबादत का नया लिख

तेरे मुल्क का आसमाँ रंग आया

आसमाँ रंग आया

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