POEMS BY MANOJ KAYAL
जुदा हो गयी फिर राहें
अधूरी रह गयी
फिर सब हसरतें
सितम वक़्त ने
फिर ऐसा किया
मिलाके बिछड़ने को
फिर से मिला दिया
सुलगते अरमानों को
फिर से बुझा दिया
ह़र लहमों को फिर से
अनजाना बना दिया
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