RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Monday, November 14, 2016
कब्र
बेवफ़ाई उनकी दिल को रास नहीं आयी
बन माट्टी के पुतले
बिन जनाज़े ही जिंदगी
कब्र ए सुपर्दे ख़ाक हो आयी
कशीदें क्या पढ़ूँ टूटे दिल की शान में
आलम तन्हाई का ऐसा था
दिल की इस मज़ार पे
कोई फ़रयादी भी ना था
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment