Tuesday, January 2, 2018

गुंजयमान

अक्षरों से आसमाँ रंग दूँ

शब्दों को गुंजयमान कर दूँ

प्रेरणा ऐसी बन जाऊ मैं

हर काव्य सुधा का

अमृत रस पान बन जाऊ मैं

अभिभूत कर क़ायनात को

अपनी रचना को सार्थक कर जाऊ मैं

आफ़ताब भी धरा पर उतर पड़े

स्वर लहरों पर विराजमान हो

अक्षरों के मोतियों को

पिरों शब्दों में

संगीतमय कर जाऊ जब मैं

संगीतमय कर जाऊ जब मैं

2 comments:

  1. इरादों में जोश हो तो सबकुछ संभव है
    बहुत खूब
    नववर्ष की मंगलकामनाएं

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