Sunday, May 10, 2020

दर्द

दर्द आँखों से जब उतरता हैं
अश्कों का दरिया बन छलकता हैं

दर्द से ही धड़कनों की पहचान हैं
वर्ना तो जिंदगी पूरी गुमनाम हैं

उखड़ती साँसे क्यों इतनी बईमान हैं
दर्द की गहराई में छुपा कोई राज हैं

दर्द दिलरुबा आँखों की
पल प्रतिपल भाव बदलती हैं

गुस्ताखियाँ दर्द की कैद आँखों के अंदर
थामे हुए एक गहरा समंदर दिल के भीतर

रूह का कितना हसीं धोखा हैं
दर्द आँखों में चेहरे पे गुलसिताँ हैं

इस गफलत में जी रहा ज़माना हैं 
फिसल गया दर्द मिला जब कोई बेदर्द फ़साना हैं

बिन दर्द के अब चैन नहीं
दर्द नहीं तो यह जीना भी बेस्वादा हैं

दर्द का अब दर्द रहा नहीं
डर नहीं यह जख्म कोई पुराना हैं 

2 comments:

  1. Replies
    1. आदरणीय शास्त्री जी
      हौशला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया
      आभार
      मनोज

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