Friday, August 14, 2020

अजनबी महरबा 

देख मुझे ऑनलाइन तुम ऑफ लाइन हो जाती हो l

डीपी बदलते ही सबसे पहले लाईक कर जाती हो ll


व्हाटस एप स्टेटस हो या फेस बुक l

कमेंट के नाम ठेंगा दिखा जाती हो ll


तुम कहती हो कोई खास रूचि नहीं l

फिर भी मेरी तस्वीरों को डाउनलोड करती जाती हो ll


भूल गयी तुम टेक्नोलॉजी ने युग बदल डाली हैं l

प्रोफाइल विजिट की ईमेल तुरंत मुझको पंहुचा जाती हैं ll


कैसे निहारु तुझे ऐ अजनबी महरबा l

तूने अपनी डीपी में भी तस्वीर मेरी जो लगा डाली हैं ll

5 comments:

  1. आदरणीय विश्व मोहन जी
    आपका बहुत बहुत शुक्रिया
    आभार

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  2. आदरणीय सुशील जी
    आपका बहुत बहुत शुक्रिया
    आभार
    मनोज

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  3. तकनिकी और कविता ... अच्छा सामजस्य बैठाया है ...

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    1. आदरणीय दिगंबर जी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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