Saturday, August 15, 2020

बस्ती

 

 

बरगद का वो पेड बारिश की वो मस्ती l
छुपी थी जिसमें मेरे सपनों की बस्ती ll
 
पंख लगा उड़ गयी उन पलों की मस्ती l
छोड़ गयी पीछे रंजो गम की बस्ती ll

शहर बदल उजड़ गयी नींदों की बस्ती l
छूट गयी दूर कही माँ के हाथोँ की थपकी ll

रोम रोम अंग महक रही गांव की वो मिट्टी l
लौट आ उस पल पुकार रही खेत खलियानों की बस्ती ll
 
नहीं थी खेल खिलौनों की इतनी बस्ती l
पर इन सबों से अच्छी थी वो कागज़ की कश्ती ll
 
नंगे पैरों में थी एक अजब सी मस्ती l
चुभ रही जूतों में काँटों की बस्ती ll
 
वो आबो हवा गांव के चौपाल की मस्ती l
यहाँ ना घर ना दालान सजी हुई पत्थरों की बस्ती ll
 
याद आ रही उन चौबारों गलियों की मस्ती l
काश लौट वापस आ सकता जीने उस बस्ती ll

16 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (16-08-2020) को    "सुधर गया परिवेश"   (चर्चा अंक-3795)     पर भी होगी। 
    --
    स्वतन्त्रता दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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    1. आदरणीय शास्त्री जी
      आपको भी स्वंत्रता दिवस की बधाई
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए शुक्रिया
      आभार

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    1. आदरणीय सुशील जी
      मेरी रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया
      आभार

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  3. सुन्दर कविता

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    1. आदरणीय ओंकार जी
      मेरी रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया
      आभार

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  4. सुंदर सृजन।
    जय हिन्द।

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    1. आदरणीय जी
      मेरी रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया
      जय हिन्द
      आभार

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  5. याद आ रही उन चौबारों गलियों की मस्ती l
    काश लौट वापस आ सकता जीने उस बस्ती ll
    बहुत खूब,पर गुजरा वक़्त कहाँ लौटकर आता है,सुंदर सृजन,सादर नमन आपको

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    1. आदरणीया कामिनी जी
      रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया
      आभार

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  6. याद आ रही उन चौबारों गलियों की मस्ती l
    काश लौट वापस आ सकता जीने उस बस्ती ll
    बहुत खूब ! लाजवाब सृजन ।

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    1. आदरणीया दीदी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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  7. पंख लगा उड़ गयी उन पलों की मस्ती l
    छोड़ गयी पीछे रंजो गम की बस्ती ll,,,,,,,, बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना,

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  8. आदरणीया दीदी
    आपका बहुत बहुत शुक्रिया
    आभार

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  9. बहुत ही अच्छे शेर हैं मनोज जी ... भाव ऐसे ही लिखते रहे ...

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    1. आदरणीय दिगंबर जी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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