Thursday, February 17, 2022

एक चाँद

हर रात खुली आँखों में जग जग के सोया करता हूँ l
एक चाँद के दीदार को पलकें खुली रखा करता हूँ ll

परिणय था पुतलियों का आसमाँ के जिस डगर से l
नयनों के तीर से घायल था ऐ परिंदा उस पनघट पर ll

तराशा जिस तरकश को हसीन ख्वाबों नजारों में l
परिणति हुई उसकी ढलती स्याह आधी रातों में ll

दृष्टि को लग गया मानो चंद्र ग्रहण सा कोई l
सृष्टि में जैसे दूसरा कमल और ना हो कहीं ll

मुस्तकबिल मेरा वाकिफ था इसकी भँवर गहराई से ll
तलाशता फिरा मुकाम फिर भी इसकी अँधेरी सच्चाई में l

परिचय जब हुआ पलकों का आँखों की उचटती नींदों से l
परिचित तब ही हुआ इसके दर्द भरे गुमनाम ठिकानों से ll

सम्भाल रखा हैं अहसान इन हसीं ख्यालातों के l
एहसास ताकि जिंदा रहे इन पलकों मुलाकातों के ll

12 comments:

  1. Replies
    1. आदरणीय सुशील भाई साहब जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

      Delete
  2. मुस्तकबिल मेरा वाकिफ था इसकी भँवर गहराई से ll
    तलाशता फिरा मुकाम फिर भी इसकी अँधेरी सच्चाई में
    बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण सृजन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया सुधा दीदी जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

      Delete

  3. परिणय था पुतलियों का आसमाँ के जिस डगर से l
    नयनों के तीर से घायल था ऐ परिंदा उस पनघट पर ll,,,,, बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया मधुलिका दीदी जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

      Delete
  4. हर एक शेर शानदार ।बहुत सराहनीय अभिव्यक्ति ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

      Delete
  5. बहुत सुंदर रचना
    बधाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय खरे भाई साहब जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

      Delete
  6. बहुत ही बढ़िया।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया अमृता दीदी जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

      Delete