सोचा दफ़न कर आता हूँ यादों की उन बंदिशों को l
बिन बुलाएँ चलती आती जो कुरेदने ख्यालों को ll
बटोरी चुपके से यादें उन पुरानी किताबों के अंदर से l
महफूज बेखबर सो रही थी जो खतों के लिहाफ अंदर ll
उम्र दहलीज छू ना पायी थी उन यादों को अब तलक l
दुओं के ताबीज़ में लिपटी सिमटी थी इनकी रहगुजर ll
बेईमान सी कशमकश थी एक मन के अंदर ही अंदर l
क्यों ना मकबरा बना दूँ इसके दीदार के गुजरे सफर ll
फैसला होता कैसे दिलों की कशिश के बहते समंदर l
यादें ही तो एक बहाना थी छूने मधुशाला के समंदर ll
नमस्ते.....
ReplyDeleteआप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की ये रचना लिंक की गयी है......
दिनांक 15/05/2022 को.......
पांच लिंकों का आनंद पर....
आप भी अवश्य पधारें....
आदरणीय कुलदीप जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए तहे दिल से आपका आभार
बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति।
ReplyDeleteबेहतरीन गजल ।
आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(१३-०५-२०२२ ) को
'भावनाएं'(चर्चा अंक-४४२९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए तहे दिल से आपका आभार
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १३ मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आदरणीया स्वेता दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
वाह!
ReplyDeleteआदरणीय विश्वमोहन भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआदरणीया ज्योति दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआदरणीया संगीता दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
वाह ... खूबसूरत अशआर है ...
ReplyDeleteकिसी बहते दरिया से ...
आदरणीय दिगम्बर भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद