Saturday, September 14, 2024

अश्रुधार

मुनादी थी बहुरूपिये अफवाहों अरण्य आग की l


आतिशबाजी सी जलती बुझती खुशफहमीयाँ बीमार की ll


क़ुर्बत द्वंद शील मुद्रा मंशें मंसूबे जज्बातों लहरें पैगाम की l


रूमानियत रुबाई कयास मुरीद वाकिफ इस कायनात की ll


कशमकश सुरूर तार्किक मिथ्या शुमार वहम ला इलाज की l


पन्ने अतीत के पलटती स्याह उजड़ी रातें मूसलाधार बरसात की ll


खुमार बदरंगी चादर अधूरी खामोश ख्वाबों मुलाकातों की l


साँझी सांची चाँदनी फ़िलहाल अर्ध चाँद इस उधार बेकरारी की ll


अक्षरों के मलाल अक्सर सगल संजीदा क्षितिज नैया पार की l


अफवाहों फेहरिस्त रंग बदल गयी बारिश इन टुटे अश्रुधार की ll

3 comments:

  1. हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं |

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  2. बहुत सुंदर रचना।

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  3. वाह!!!
    बहुत सुन्दर सृजन👌👌

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