Friday, June 6, 2025

मृगनयनी

उमड़ रही काली घनघोर घटाओं मझधार से l

कानाफूसी कर्णफूलों सजी बैजंती झंकार से ll


गुनाहों सी एक कंपकंपी हवाओं के रुखसार में l

बेअसर डोरी थामे रखने पतंग कमान अपनी धार में ll


मोजों कहानी तामील तमन्नाएं रह गुजरी l

सिंदूरी रंगों रंगी अर्पण लहरों अंतर्ध्यान से ll


दर्पण अर्पण बिंदी खोई अर्ध चाँद दाग में l

अंजलि तर्पण भिगोॅ गयी कायनात साथ में ll


ख्याल सवार मृगनयनी रूमानी खुमार में l

सहर दस्तक तामील हो गयी साँझ गुनाह में ll