अर्पण करू अर्पण करू
हे ईश्वर आप के श्री चरणों में
पूजा के दो फूल अर्पण करू
तर्पण करू तर्पण करू
हे ईश्वर आप की आराधना में
मन अपना तर्पण करू
समर्पण करू समर्पण करू
हे ईश्वर आप की सेवा में
ये तन समर्पण करू
अर्पण करू अर्पण करू
हे ईश्वर आप के श्री चरणों में
पूजा के दो फूल अर्पण करू
तर्पण करू तर्पण करू
हे ईश्वर आप की आराधना में
मन अपना तर्पण करू
समर्पण करू समर्पण करू
हे ईश्वर आप की सेवा में
ये तन समर्पण करू
शक्ति रूपा दुर्गा लक्ष्मी रूप धर अंगना पधारी है
मनोकामना पूर्ण हुई
घर खुशिया अपार छाई है
बिट्या दुलारी का नामकरण हुआ
दादा दादी बाँट रहे मिठाई है
दुआ हमारी भी ढेर सारी
जग में नाम करे भारी
इसकी भी महिमा गावे दुनिया सारी
भीड़ में ना जाने कहा तुम खो गए
तलाशा बहुत पर तुम ना मिले
इसलिए राह हमने भी बदल डाली
उस राह को छोड़ दिया
जिस राह तुम गुजरा करते थे
श्रद्धा भक्ति से दादी को ध्याये
माँ के श्री चरणों में शीश नवाए
माता रानी की दिव्या ज्योत जलाए
चुडा चुनरी माँ को चढाये
आओ सब मिलकर भादव अमावस्या का उत्सव मनाये