Friday, September 4, 2009

समर्पण

अर्पण करू अर्पण करू

हे ईश्वर आप के श्री चरणों में

पूजा के दो फूल अर्पण करू

तर्पण करू तर्पण करू

हे ईश्वर आप की आराधना में

मन अपना तर्पण करू

समर्पण करू समर्पण करू

हे ईश्वर आप की सेवा में

ये तन समर्पण करू

लंगूर

पिया जी गए रंगून

बना गए लंगूर

खिला गए अंगूर

जतला गए तुम हो महा बेवकूफ

बिटिया जनम

शक्ति रूपा दुर्गा लक्ष्मी रूप धर अंगना पधारी है

मनोकामना पूर्ण हुई

घर खुशिया अपार छाई है

बिट्या दुलारी का नामकरण हुआ

दादा दादी बाँट रहे मिठाई है

दुआ हमारी भी ढेर सारी

जग में नाम करे भारी

इसकी भी महिमा गावे दुनिया सारी

भीड़

भीड़ में ना जाने कहा तुम खो गए

तलाशा बहुत पर तुम ना मिले

इसलिए राह हमने भी बदल डाली

उस राह को छोड़ दिया

जिस राह तुम गुजरा करते थे

भादव अमावस्या

श्रद्धा भक्ति से दादी को ध्याये

माँ के श्री चरणों में शीश नवाए

माता रानी की दिव्या ज्योत जलाए

चुडा चुनरी माँ को चढाये

आओ सब मिलकर भादव अमावस्या का उत्सव मनाये