Thursday, February 3, 2011

पितरी स्नेह

स्नेह प्यार के हम थे सात नीर

जैसे स्वर संगीत के सात तीर

छुटा आपका साथ

बिखर गया जीवन संगीत

सरगम है अब अधूरी

फिर भी गुनगुना रहे

आपके सिखाये गीत

नाज रहे आपको

हम है आपके जीवन मधुर संगीत

आप ऐसे ही बसे रहो

हमारे गीत संगीत बीच

जुड़े रहे हम सबोके दिल

आप के स्नेह ओर आशीर्वाद से

भरे रहे जीवन में

मधुर गीत संगीत

स्वतंत्रता

स्वछन्द विचरण मैं करू

गगन गगन उड़ता फिरू

पंख लग जाये दो

परवाज़ भरता फिरू

ना कोई सरहद

ना कोई सीमा

ज़हा ले जाये पवन का झोका

बादलों से अटखेलियाँ करता मैं फिरू

स्वतंत्रता की मिठास चखता चलू

गगन गगन उड़ता फिरू

वफ़ा

चाहतों को अक्सर तलबगार नहीं मिला करते

भूले बिसरे मिले कभी

वो वफ़ा निभा नहीं सकते

नफरत करने वाले मगर कभी दगा नहीं करते

मिले जब कभी

वो बेवफा बन नहीं सकते

करीब

सुबह की यादों में

रात की बातों में

ख्यालों में अक्सर होता है कोई

अनजाना ही सही

पहचान नहीं , आकार नहीं कोई

फिर भी दिल के करीब होता है कोई

खाब्बों में ख्यालों में

अक्सर होता है कोई

कुछ तो

कुछ तो बात है

दिल आज भी तेरे नाम है

गुजर गयी सदियाँ

बिखर गया कुनबा

फिर भी इसे तेरा ही इन्तजार है

कुछ तो बात है