Friday, March 4, 2011

आलिंगन

गुजरते पलों के साथ

धूमिल होने लगा आशा का संचार

पर यकीन की लो अभी भी है बरकरार

उम्मीद की शमा बुझने से पहले

फ़रियाद मेरी भी होगी स्वीकार

खुशियों की किरणे बाहं फैलाए

आलिंगन करेगी मेरे विश्वास को आए

प्रबल अभिलाषा

अरमान आसमां छूने को है बेताब

ह़र कदम कामयाबी के

शिखर को चूमने है बेकरार

अध्याय जुड़े नया

प्रबल अभिलाषा ऐसी है खास

करने इस सुन्दर सपने को साकार

मह्त्वाकांछा के रथ पे हो सवार

फ़तेह अर्जित करनी है आज

वरदान

साया आप का नहीं आज साथ

पर दिल में है विधमान

आज भी आप ही की याद

हम चिरागों के दीये रोशन रहे सदा

आप की अनमोल यादों की परछाइयों के साथ

जन्म जन्मान्तर ऐसे ही बना रहे अपना साथ

देना आप ऐसा वरदान

किनारा

किनारा तुम से कर नहीं सकते

अहसास तुम्हारा भुला नहीं सकते

तुम मानो या ना मानो

सपने में भी हम

तुमसे इश्क लगाना छोड़ नहीं सकते

हिंसा

मचा हिंसा का तांडव ऐसा

धधक उठा नफरत का दावानल

किया हैवानियत ने ऐसा शर्मशार

पल में फैलया दिया अमावास का अँधियारा

ह़र ओर पसर गया मौत का सन्नाटा

हुडदंग शोरशराबे में

खो गयी मानव चीत्कार कहीं

मासूमो के खून से

रंग गयी देश की आन बान सभी

खत्म हो गया सब

बदल गयी पहचान