Saturday, January 30, 2010

पोल

बच्चों ने मचाया शोर

खुल गयी शेर की पोल

मुन्ना बन फिर रहा शेर का दोस्त

देख सामने बिल्ली रानी

शेर ने जोर से किलकारी मारी

डर लागे मुझे तुझसे बिल्ली रानी

मैं नहीं हु कोई शेर

रोब जमाने बच्चों पे

मैंने पहन ली शेर की खाल

अब कभी नहीं करूँगा ऐसी शैतानी

माफ़ कर दो मुझको ओ बिल्ली रानी

खुलते ही शेर की पोल

बच्चों ने मचाया शोर

मुन्ना हो गया शर्म से ढोल

दुर्भर

डर खौंफ भय आतंक

दुर्भर है जीना इनके बीच

जीना है तो सीखना है

इनसे मुकाबला करना है

उत्पन कोई कु विकार हो ना पाये

माहोल ना बदले ना जाये

परिस्थिथि बिगड़ ना पावे

रखना होगा मन मस्तिष्क को जोड़

वर्ना मुश्किल होगी खुशियों की खोज

ओर फिर जीना पड़ेगा

डर खौंफ भय आतंक के साये ही

Friday, January 29, 2010

अपना दर्द

दर्द आपने अपना बया किया

पर दर्द औरों का आप समझ ना पाये

स्वार्थी है आपकी फितरत

आप रोते हो बेमतलब

दर्द से ही है दर्द की पहचान

समझ लिया जो आपने दुनिया का दर्द

तो फिर दर्द की ना ही कोई बात है

चुप चुप

गुपचुप गुपचुप चुप चुप

खामोश है जिन्दगी

बह रही है सिसकियाँ

उफन रही है जिन्दगी

सुनी सुनी है जिन्दगी

धधक रही है अंतर्व्यथा

जल रही है जिन्दगी

गुपचुप गुपचुप चुप चुप

खामोश है जिन्दगी

Thursday, January 28, 2010

जमाने की नजर

हे रामा लागी किसकी नजर

टूट गयी मोतिओं की जोड़ी

बिछुड़ गयी हंसो की जोड़ी

हुआ पहले ऐसा कभी नहीं

यूँ लगे लग गयी नजर जमाने की

टूट गयी जंजीर रिश्तो की

बिखर गयी माला फूलों की

डोर प्यार की इतनी कमजोर ना थी

सच लग गयी किसीकी बुरी नजर

छुट गयी अपनेपन की यारी

बिछुड़ गयी जिंदगानी

खत्म हो गयी प्रेम कहनी