Friday, August 27, 2010

सदमा

दर्द तुने इतना दिया

लहू आंसू बन आँखों से बह चला

दिल चूर चूर हो बिखर गया

सदमा ऐसा लगा

शक्ल खुद की भी याद ना रही

जब देखा आइना

अजनबी शक्ल नज़र आयी

खता दिल लगाने की हमसे हो गयी

जिन्दगी हमसे रुसवा हो गयी

दर्द तुने ऐसा दिया

जोड़

बड़ा ही मज़बूत है ये जोड़

तोड़ नहीं इसका कोई मेरे दोस्त

ये है सच्चे बंधन की डोर

काट नहीं इसका कोय

कहते है इसे दिल से दिल का जोड़

मेरी तेरी यारी का जोड़

प्रकाश

दुओं की रोशनी से आपकी राहे

जगमगाती रहे

अँधेरे में भी सूरज की तरह

प्रकाश की किरणे

बिखराती रहे

आप यू ही सदा मुस्कराती रहे

खुशबू

कह रहा है मन

हो तुम यही कही

घुल रही तेरी साँसों की खुशबू

इन हवाओं में यही

महका रही ह़र कलि इन फिजाओं में यही

बिखर रहा संगीत

तेरी पायल की छम छम से

करलो कितना भी जतन

छिपा ना खुद को पाओगे

दूर हम से रह ना पाओगे

भस्म

जल गया तन

भस्म हो गया मन

बची सिर्फ धड़कने

मुझको बस तू इतना बता दे

कैसे उससे तुझको जुदा करू

जिन्दा रहने के लिए अब क्या क्या ओर करू