Friday, December 18, 2009

तक़दीर की कहानी

क्यो करते हो रब मेरी किस्मत से मजाक

क्यो छल जाते हो मेरे को ही हर बार

क्यो लोट जाती है खुशिया मेरे ही द्वारे आए

हे रब कैसे तुम को बतलाऊ

पीड़ा कैसे तुम को दरशाऊ

जब तुम ख़ुद ही अन्तर्यामी

क्यो नही बदल देते

किस्मत की मारी तक़दीर की कहानी

No comments:

Post a Comment