Monday, February 1, 2010

रोते रोते

रोते रोते ये पता चला

रोने को ओर आंसू बचे नहीं

उमड़ा था आंसुओ का जो सैलाब

सुखा दिया उसने सभी नदी तालाब

अब जब आंसू ही बचे नहीं

फिर किस कर के रोये

इसलिए मन ही मन रोये ताकि

आंसू की जरुरत ही होवे नहीं

कहना है बस इतना सा

दिल रोता रहे ओर आंसू नजर आये नहीं

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