POEMS BY MANOJ KAYAL
निश्चल खड़ा पहाड़
कह रहा है पुकार
अडिग रहो करम पथ पे
ना करो अभिमान
देखो मुझको अविचलित खड़ा हु
सीना अपना ताने
चाहे आओ आंधी या तूफ़ान
डिगा ना पाये मेरा स्थान
तुम भी खड़े रहो मेरी तरह
करम पथ पे अपने
बस मत करना अभिमान
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