Tuesday, February 2, 2010

हसीन शाम

लहमा लहमा कह रहा है

बूटा बूटा सुन रहा है

कितनी हसीन है ये शाम

सूरज लगने लगा है ढल

छा गयी अम्बर में लाली

चाँद नजर आने लगा

छटा बनी अनुपम निराली

ये शाम कित्नु हसीन है

लहमा लहमा कह रहा है

बूटा बूटा सुन रहा है

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