Friday, August 27, 2010

खुशबू

कह रहा है मन

हो तुम यही कही

घुल रही तेरी साँसों की खुशबू

इन हवाओं में यही

महका रही ह़र कलि इन फिजाओं में यही

बिखर रहा संगीत

तेरी पायल की छम छम से

करलो कितना भी जतन

छिपा ना खुद को पाओगे

दूर हम से रह ना पाओगे

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