जिन्दगी दो पल ही काफी थी
बारिश की दो बूंदे ही बाकी थी
जीवन कण भरा था जिनमे
संजीवनी सुधा सजी थी उनमे
उस दो पल की जिन्दगी ही काफी थी
जिन्दगी दो पल ही काफी थी
साँसे अभी ओर भी बाकी थी
धडक रही थी धड़कने
जीवन प्राण भरे थे जिनमे
उस दो पल की जिन्दगी ही काफी थी
जिन्दगी दो पल ही काफी थी
चाहत जिन्दगी की अभी बाकी थी
दिल की आवाज़ सजी थी जिसमे
प्रेम सुधा रस भरी थी जिसमे
उस दो पल की जिन्दगी ही काफी थी
जिन्दगी दो पल ही काफी थी
बारिश की दो बूंदे ही बाकी थी
जीवन कण भरा था जिनमे
संजीवनी सुधा सजी थी उनमे
उस दो पल की जिन्दगी ही काफी थी
जिन्दगी दो पल ही काफी थी
साँसे अभी ओर भी बाकी थी
धडक रही थी धड़कने
जीवन प्राण भरे थे जिनमे
उस दो पल की जिन्दगी ही काफी थी
जिन्दगी दो पल ही काफी थी
चाहत जिन्दगी की अभी बाकी थी
दिल की आवाज़ सजी थी जिसमे
प्रेम सुधा रस भरी थी जिसमे
उस दो पल की जिन्दगी ही काफी थी
जिन्दगी दो पल ही काफी थी
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १६ /१०/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी ,आपका स्वागत है |
ReplyDeleteThanks Mam for your support .
Deleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteThanks friend .
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी रचना
Thanks sir
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