Friday, November 18, 2016

दिलों का मोल

तलाशा बहुत

पर इस टूटे दिल का ख़रीदार मिला ना कोई

बिखरें आँसओं की चुभन से

भयभीत था हर कोई

हर एक पारखी नज़र वाला जोहरी था

दिलों के इस बाज़ार में

टूटे दिलों का इसलिए कोई मोल ना था

सपनों के इस बाज़ार में

फिर कोशिश की जोड़ लू इसे

फ़िर कोई एक खाब्ब से

पर मिला ना इसको भी कोई हमसफ़र

क्योंकि सब तलाश रहे थे दिलों को

अरमानों की बरसात में

अरमानों की बरसात में

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