Friday, July 21, 2017

लकीरें

ना मैं छंद पढ़ता हूँ

ना व्यंग पढ़ता हूँ

मैं तो सिर्फ़

चहरे पे लिखी लकीरें पढ़ता हूँ

हर एक रचना की

बख़ूबी ताबीर पढ़ता हूँ

तामील करता हूँ

शामिल रहे इसमें हर वो इबादत

लिखी आयतें जिसमें

सिर्फ़ ख़ुदा के नाम की हो

यारों मैं तो फकीरों की तरह

लकीरों में भी बस दुआओं का असर टटोलता हूँ

मैं तो सिर्फ़

चहरे पे लिखी लकीरें पढ़ता हूँ 


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