Saturday, August 27, 2016

जिंदगी की तलाश

चल एक बार फिर से जिंदगी की तलाश करे

तेरी खुशियों में अपनी खुशियाँ तलाश करे

दुओं की कमी ना रह जाए कही

आ मिल फिर खुदा से फरियाद करे

नजर ना लग जाए शहर की कही

दामन को तेरे गैरों से बचते बचाते चले

आ कुछ ऐसे पलों की तलाश करे

मैं और तुम से आगे निकल

हम में खुशियों की तलाश करे

चल फिर से एक बार जिंदगी की तलाश करे

एक बार फिर से जिंदगी तलाश करे

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (29-08-2016) को "शैक्षिक गुणवत्ता" (चर्चा अंक-2450) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. शास्त्री जी
      शुक्रिया
      सादर
      मनोज

      Delete